शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

१ जर्रे  जर्रे  में है झाँखी  हिंदुस्तान क़ी  किसी
सूझ वाली आँख ने पहचान की
भांति - भांती  के है रंग
भांति -भांति के त्योहार
भांति-भांति की है बोली -
रूह  हमारी भारत माँ है
यही बात विश्व  विख्यात है
जर्रे - जर्रे  में झाँखी  हिंदुस्तान की
किसी सूझ  वाली आँख ने पहचान  की
३ भगत सिंह  ने है  जानी
बचपन  से ही है ठानी
देश को  है  आजादी दिलानी
इसलिए  कुर्बान की  जवानी


जर्रे  जर्रे  -में  है  झांकी    हिंदुस्तान की
किसी सूझ  वाली आंक ने पहचान की
 २ मंगल  पांडे  ने  है   जानी
 की  1857  की  क्रान्ति
आजादी  का प्रथम बिगुल  फुंका
 जर्रे जर्रे  में है  झांकी  हिंदुस्तान  की
किसी सूझ  वाली आँख  ने  पहचान  की
तात्या  टोपे  ने  लड़ी लड़ाई  हिंदुस्तान  की
जर्रे  -जर्रे  में है  झांकी  हिंदुस्तान  की
किसी सूझ  वाली  आँख ने पहचान  की
जैसे  प्रथम  महिला क्रन्तिकारी  रानी  दुर्गावती  जी ने की
देश की रक्षा  के लिए अपना सर्वस्व  बलिदान कर दिया
जर्रे  -जर्रे  में है  झांकी  हिंदुस्तान  की
किसी सूझ वाली आँख  ने पहचान की
ऐसे ही रानी अवंतीबाई ने की
उन्होंने अंग्रेजी  हुकूमत  से  देश की आजादी  की लड़ाई लड़ी
जर्रे - जर्रे में है झांकी  हिंदुस्तान  की
किसी सूझ  वाली आँख ने पहचान की
ऐसे ही श्री  अरुणा आसीफ अली जी ने देश देश की
आजादी के लिए कई  बार जेल  यात्राएं  की
देश के लिए अपनी जान  भी  कुर्बान  की
जर्रे -जर्रे  में है झांकी  हिंदुस्तान की
जर्रे -जर्रे  में है झांकी  हिंदुस्तान की
किसी सूझ  वाली आँख  ने पहचान  की
जैसे  बिरसा मुंडा जी ने की
मुंडा  समूह  को  देश  की आजादी  के लिए
प्रेरित  किया
युद्ध  लड़ा और वीरगति  को प्राप्त  हुए

जर्रे -जर्रे  में  है  झांकी   हिंदुस्तान  की
किसी  सूझ  वाली  आँख ने पहचान की
खुदी राम  बोस  ने लड़ी है  लड़ाई
हँसते-  हँसते    कुर्बान  की अपनी युवा  जिन्दगानी
जर्रे  - जर्रे  में है  झांकी  हिंदुस्तान की
किसी सूझ वाली  आँख  ने पहचान की
राजा राम मोहन  राय ने पहचानी
देश की  कुरूतियों  को  समझा
उनको  खत्म  किया
देश  की  समस्या  को  जाना और  निवारण किया
जर्रे  -जर्रे  में है  झांकी हिंदुस्तान  की
किसी  सूझ  वाली आँख  ने पहचान की
महात्मा  गाँधी  ने पहचानी
लड़ी  लड़ाई  अहिंसा से
किया  स्वदेशी  का प्रचार
और विदेशी  का  बहिष्कार
जर्रे - जर्रे ---------झांकी  हिंदुस्तान  की
किसी सूझ  वाली  आँख ने पहचान की
वल्लभ  भाई  पटेल जी ने जानी
देश  को  संगठित  किया

जर्रे -जर्रे  में  है झांकी हिंदुस्तान की
किसी सूझ  वाली  आँख  ने पहचान की
जैसे सुभाष  चन्द्र  बॉस  जी ने की
 देश की आजादी  के लिए अंग्रेजो के विरुद्ध स्वदेशी  राज्यों
व  दूसरे  देशो  को संगठित  किया