शनिवार, 22 मई 2021

नारी तेरी यही कहानी क्यो 2

 ये कहानी  कहानी  भी  कुछ  उसी  तरह की  है लेकिन  इसमें  थोड़ा  परिवर्तन  है  एक बार  की  बात है  एक बाईं  थी  जो बहुत  अच्छा  काम किया  करती थी   मेहनती  भी  थी  एक दिन  उसने  बातो  - बातो  मे बताया कि उनका पति  उन्हे शराब  पीकर मारता  बच्चों  की पढ़ाई  के  दवाइयों  के  पैसे  भी  छीन  लेता  है । उसे मारता  - पीटते। है  तो माँ  ने कहा  डर मत तू  डर मत उसका सामना  कर   पीटे तो दो चार  लगा दे डर नहीं उसको सीधा  कर  

नारी तेरी यही कहानी क्यो

नारी तेरी यही कहानी क्यो  कभी  पति से प्रताड़ित कभी पति  के सहसंबधिययो से कभी  एसी ही एक कहानी  है। वही ईमानदार मीनू  दी की।    रिश्ता  इतना  गहरा  बन गया  था  कि  निजी  बातें  भी  बताते थे ।  एक दिन  उन्होंने  बातो - बातो  मे बताया  कि  उनका पति  उन्हे  शराब  पीकर  मारता  है   वो इतनी  मेहनत  करके  बच्चो  का पालन-पोषण  करती थी और वो निर्लज  उन्हे  मार - पीटकर  उससे  मेहनत  की  कमाई  छीन लेता था   और उसे  शराब  मे उड़ा  देता था    कभी-कभी वो  मारपीट  के  निशान  भी  दिखाती थी  करवा चौथ  पर तो उसकी सास  करवा चौथ  का व्रत  रखने  के लिये  दबाव  डालती थी । ऐसे निर्लज  के लिये  कोन सा व्रत   इसलिए  की हर जन्म  मे वो  मिले ये सिर्फ  एक मीनू  दी की  नहीं  हर काम  करने  वाली बाईं  आई की कहानी  है  चाहे  पात्र  अलग-अलग  हो उनके  नाम अलग  -अलग  कहानी  सबकी एक  सी है  जैसे  मीनू  , टीना , रीना या  कोई  ओर एक ओर थी जिसकी यही   कहानी  थी   

एक गरीब ईमानदार मीनू दी की कहानी

 ये कहानी  उस समय  की  है  जब हम  पानीपत  हुडडा  सैक्टर 12 मे  86 मकान  नंबर मे  रहते  थे  घर  मे माँ   ,   पिता  जी   और  उनके  हम तीन  बच्चे  रहते थे।  मै  ऋषभ और मेरी दो बहने  रहती थी  एक दिन  जब मै स्कूल  से घर आया  तो   मैंने  कपड़े  बदले और खाना खाया  मैने देखा  काम  करने  के लिए  एक नई  दी आई हुई थी   जिनका  नाम  मीनू  था    पहले  प्रसंग  मे जो अम्मा  थी  वो ही इनकी सास थी     एक दिन  की बात है   त्योहार  था  तो  काम  से खुश  होकर  बच्चों  के लिए  पैजेब   बालिया  दी थी चश्मे  की डिब्बी   मे और उसमें  टोपस  भी चले गये   काम  करके  वो अपने  घर  जा चुकी थी   जब  घर जाकर  उन्होंने  अपने  बच्चों  के सामने  बैठ  कर खोला  तो उन्होंने  डिब्बी  खोली  और टोपस   मिला  उनके  घर कोई  मेहमान  आए हुए  थे  उनहोंने  कहा  कि इसे रखले  किसी  को  क्या  पता  चलना  है  तू इसे  रखले  पर मीनू दी नहीं  मानी और  तभी  हमारे  घर भागती हुई  आई  हांफती हुई  घर आई  और  मेरी माँ  को शो टोपस दिया  और  हमने  उनका धन्यवाद   किया  और  भगवान  का आभार  प्रकट  किया   उनकी ईज्जत  ओर बढ गयी 

बुधवार, 19 मई 2021

रिश्तों के एहसास की डोर आज और कल

समय-समय  की बात  है ।  एक  समय था जब  रिश्तों  मे आत्मीयता  थी , रिश्तों  मे मिठास थी ,  तब सभी  संबंधों  मे आत्मीयता   थी  यहाँ तक   कि काम वाली  बाई  से भी आत्मीयता  का रिश्ता  बन जाता था   जैसे  कि  काम करने  वाली  बाईं  अगर बुजुर्ग हो तो अम्मा का सा रिश्ता बन जाता था ।

एक बार जब हम स्कूल से घर आए तो हमने देखा  कि एक  नई काम वाली  बाईं  आई  हुई  है जोकि  काफ़ी  कमजोर  दिख  रही थी  वह  पोछा  लगा  रही  थी  तभी  हमे  पता लगा  कि माँ  की  रिंग  नहीं  मिल रही हैं  । माँ  बहुत  दुखी  दिखाई  दे रही थी  तब हम भी  माँ  की  रिंग  ढूँढने  मे मदद करने  लगे   तभी  अम्मा  की  नजर  पोछा  लगाते हुए  दरवाजे  के पास पड़ी रिंग  पर गयी   तब अम्मा  ने  वो रिंग  माँ  को दी । माँ  ने   फिर   उनका धन्यवाद  किया।  भगवान  का शुक्रिया  किया ।  उस दिन के बाद से  उनके  लिए इज्जत और बढ गयी  और  उनका माँ   बेटी  का सा रिश्ता  बन गया        उस  समय रिश्तों  की  बहुत  अहमियत  थी  उस  समय  आज जैसे   रिश्ते  नहीं  थे    

       संदेश _    रिश्तों  मे ईमानदारी  आत्मीयता  आवश्यक  है  इसके   बिना  रिश्ते  अधूरे  है चाहे वो  भाई  _ बहन  का रिश्ता  हो माँ  _ बेटे  _ का  पिता  पुत्री  का हो